ISBN: 978-8196731922
Pages: 167
Total Authors: 10
Genre: Poetry
Mrp: 249/-
इनका जन्म झारखंड के देवघर जिला के बाराकोला गाँव में हुआ। इन्होंने अपनी साहित्यिक रचना की शुरुआत 9वीं कक्षा में की। इन्होंने अब तक 1000 से भी ज्यादा कविता, कहानी, शायरी, गानों आदि की रचना की है। इससे पहले इनकी कई कविताएं किताबों में प्रकाशित हो चुकी है। इनकी भाषा शैली बहुत ही सरल है। इन्होंने सामाजिक मुद्दों पर भी कई रचनाएं की और अपनी बेबाक राय समाज के समक्ष प्रस्तुत की है। ये अपनी रचनाएँ यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में कवि सैम के नाम से साझा करते है।
लेखक राजकमल जोलंदावाला का जन्म राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के छोटे से गाँव जोलंदा में हुआ है । इन्होनें अपनी शिक्षा के तौर पर इंजीनियरिंग के साथ एमबीए किया है । वर्तमान में राजस्थान सरकार के अधीन सहकारिता विभाग में कार्यरत है । वर्ष 2017 में इनका उपन्यास ‘विश्वयुद्ध 3- War Against Life’ प्रकाशित हो चुका है । जो वैश्विक समस्या आतंकवाद पर आधारित है । साथ ही, उपन्यास कोटा जैसे कोचिंग शहर में आत्महत्या करने वाले स्टूडेंट्स के दर्द को उजागर करता है । लेखक उपन्यासकार, कहानीकार के साथ एक कवि भी हैं । समाज की बुराईयों को कागज पर उकेर कर समाज को आईना दिखाने की प्रकृति रखने वाले लेखक राजकमल जोलंदावाला व्यक्तिगत चरित्र, प्रेम, जुदाई, नारी एवं जीवन के मर्मस्पर्शी व संवेदनशील विषयों पर बारीकी से लिखना पसंद करते हैं । लेखक अपनी कविताओ के लिए कई पुरस्कार भी जीत चुके हैं ।
इनका जन्म बिहार के मधेपुरा जिला के बभनगामा गाँव में हुआ और इनकी पढ़ाई भी वही हुई। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य से स्नातक किया है, फिलहाल ये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती है। कविताओं में इनकी रूचि बचपन से रही है, स्कूल के दिनों से ही ये कविता लिखती आ रही है, इनकी कई कविताओं का प्रकाशन अख़बारों में हो चूका है, ये विविध मुद्दों पर कविताएँ लिखती है, ये इनकी प्रकाशित होनेवाली पहली किताब है।
S/o - श्री राजीव रंजन एवं श्रीमती बिनीता चतुर्वेदी एक प्रकाशित कवि एवं लेखक हैं | ये अंगप्रदेश (दानवीर राजा कर्ण की धरती), बिहार से नाता रखते हैं | इन्होंने अपनी स्नातक अंग्रेजी साहित्य में दिल्ली विश्वविद्यालय से की है | वैसे तो ये हर एक रस की कविता लिखते हैं लेकिन इनकी दिलचस्पी वीर रस की कविताओं में अधिक हैं | कवि होने के साथ-साथ इनका झुकाव राजनीति, अध्यात्मवाद और अस्तित्व की ओर है | ये एक अच्छे चित्रकार एवं वक्ता भी हैं |
भव्य भसीन का जन्म 26/12/1990 को करनाल, हरियाणा में हुआ।बाल्यकाल से ही परम संत पूज्य श्री श्याम भाईसाब का सान्निध्य मिलने से इनमे भक्ति जागृत हुई और उनके आदेश से भक्ति संबंधित लेखन कार्य किया। 2015 में Mtech की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2020 से अधिक समय ब्रजमंडल में निवास करते हैं। रस वाटिका के नाम से इनका एक सत्संग संबंधित यूट्यूब चैनल भी है।
मेरा नाम स्वाति तिवारी है। मैं मूल रूप से मध्य प्रदेश के रीवा जिले से हूं। मेरी उच्चतर माध्यमिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय रीवा (म.प्र.) से पूरी हुई है। वर्तमान में मैं बीटेक(सी एस ई)प्रथम वर्ष की छात्रा हूं । बचपन से ही मेरी रुचि कविता , कहानियों में रही है। प्रेरक कथाएं, हितोपदेश, पंचतंत्र की कहानियों से शुरू हुआ ये सिलसिला मुंशी प्रेमचंद्र जी के कथा संग्रह से लेकर हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों के साक्षात्कार के साथ अनवरत आगे बढ़ रहा है। मेरी स्वरचनाऐ जो बाल कवि सम्मेलन से शुरू हुई है तथा राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुई हैं वो मेरी अनुभूति की वो आशा की सीप है जो भावनाओं की "स्वाति" से साहित्य का सबसे चमकदार मोती बनने के लिए आतुर हैं।
नाम राकेश कुमार सिंह जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला में 15 फरवरी सन 1965 को हुआ। शिक्षा स्नातक पेशे से सिक्योरिटी ऑफिसर वाईएमसीए नई दिल्ली में कार्यरत शौकिया लेखन क्रॉउन पब्लिकेशन के द्वारा काव्य संकलन 'यादें' प्रकाशित काव्य संकलन 'तुम्हारे बिना' प्रकाशनाधीन ऑनलाइन पत्रिकाओं जैसे pravakta.com. amarujala.com.YourQuote Writco.com हजारों रचनाएं प्रकाशित।
ब्रह्मानंद गुप्ता ब्रह्मपाद का जन्म करौली जिले के हिंडौन सिटी कस्बे (राजस्थान) में 1 जुलाई 1966 को हुआ है। आप राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग में कार्यरत हैं । इन्होंने बेरोजगार ,युवाओं की समस्याओं ,आकांक्षाओं को समझा है । ग्रामीण अंचल में दलितों आदिवासियों, पिछड़े दलित मध्य काम किया है। इन्होंने बेरोजगार, युवाओं की समस्याओं शोषित दलित वर्ग तथा मानवीय संवेदनाओं के प्रतिनिधि कवि हैं आपकी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं सोशल मीडिया पर विभिन्न ग्रुपों जैसे हंस पत्रिका, का बागर्थ , शब्दआलय हिंदी कवि साहित्य संगम इलाहाबाद में उनकी कविताएं निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। उलझन की पगडंडिया इनका प्रथम काव्य संग्रह है।
मैं मनोज कुमार "रूह" गोरखपुर से हूं, मेरा जन्म 15 मई 1990 को गोरखपुर उत्तर प्रदेश में हुआ। मैं गोरखपुर विश्वविद्यालय से commerce स्नातक औऱ परास्नातक हूँ और ITM GIDA से MBA हूँ विगत 9 वर्षों से असिस्टेंट प्रोफेसर रहा हूँ, औऱ वर्तमान मे UPPCS GIC में commerce प्रवक्ता पद पर हूँ। मेरी रचनाये कई काव्य सँग्रह और साहित्यिक पोर्टलों जैसे लोकराग पर पढ़ी जा सकती है जिनमें पंच प्रवाह, आशाएं ,स्त्री , काव्य किरण और अन्य साझा संग्रह रहे है। माँ सरस्वती के सेवा में दो पुष्प अर्पण हो सके तो जीवन चरितार्थ हो..
नाम - स्वाति उपाध्याय पति - श्री अनिल कुमार उपाध्याय जन्मतिथि - 04 अक्टूबर 1986 शैक्षणिक योग्यता - एम. एस. सी. गणित, एम. ए. अंग्रेज़ी,एम. ए. शिक्षा, बी. एड. संप्रति - शिक्षिका स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय गांधीनगर अंबिकापुर, सरगुजा छत्तीसगढ़ (पूर्व - कंपीयर आकाशवाणी अंबिकापुर केंद्र ) साहित्य लेखन विधाएं - गद्य एवम पद्य (छंदबद्ध,तुकांत अतुकांत कविता,लेख)
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