fbpx
Cart is empty

Pratidhwani: Smritiyon ke Sajeev Lamhein

Author: Dr. (Smt.) Sandhya Banerjee

Book Cost

Original price was: ₹229.Current price is: ₹129.

Short Description

साहित्य पढ़ने का बचपन में जब रूझान हुआ, तो हिंदी के अलावा जिन भाषाओं का साहित्य पढ़ने के अवसर शुरू-शुरू में मिले, उनमें बांग्ला का प्रमुख स्थान था।

Share this Book

WhatsApp
Facebook
Twitter

Original price was: ₹229.Current price is: ₹129.

Quality Products

7 Days Return Policy

Usually Ships in 2 Days

Apply Coupon at Checkout

Page Count

110

Book Type

Paperback

ISBN

9789364023092

Mrp

229

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

साहित्य पढ़ने का बचपन में जब रूझान हुआ, तो हिंदी के अलावा जिन भाषाओं का साहित्य पढ़ने के अवसर शुरू-शुरू में मिले, उनमें बांग्ला का प्रमुख स्थान था। हां, बांग्ला साहित्य हिंदी में अनुवाद के माध्यम से ही पढ़ा, लेकिन उन अनूदित कृतियों में भी इतना अपनापन था कि शरत चंद्र तो विशेषकर और गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र भी मानो अपनी ही भाषा के लेखक प्रतीत होते थे और हैं। इस पृष्ठभूमि में जब मेरी पत्नी रीना के भांजे गौरव बैनर्जी ने, जिन्हें हम स्नेह से नीलू बुलाते हैं, मुझसे आग्रह किया कि उनके पिता स्वर्गीय डॉ. चन्द्रशेखर बैनर्जी की जिन बांग्ला काव्य और कथा कृतियों का हिंदी अनुवाद उनकी माताजी डॉ. (श्रीमती) संध्या बैनर्जी ने किया है, उनके संकलन के रूप में प्रकाशन के पहले मैं अनुवाद के पाठ पर एक दृष्टि डालूं, तो मेरे लिये यह बहुत प्रीतिकर प्रस्ताव था, जिसे मैंने कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार किया। यहां मेरे स्वर्गीय डॉ. बैनर्जी के साथ यानी अपने वरिष्ठ साढ़ूजी के साथ संबंधों के ताने-बाने पर कुछ कहना भी ठीक होगा। मैंने और मेरी पत्नी रीना ने विवाह बिना उनके परिवार की सहमति से किया था। स्वाभाविक है, उनके परिजन हमसे खिन्न और क्षुब्ध थे। उन नाराज़ लोगों के समुदाय में अपनी ओर से पहल करके दो लोग हमारे घर हमसे मिलने आए, उनमें से एक थे रीना के यही जीजाजी डॉ. बैनर्जी। हम तब रायपुर में रहते थे और डॉ. बैनर्जी भारतीय रेल में कार्यरत थे और बिलासपुर में अपने परिवार के साथ निवास करते थे।

About the Author

नाम डॉ. श्रीमती संध्या बैनर्जी जन्म 1 जुलाई 1944 शिक्षा स्नातक (विज्ञान संकाय), पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर डी. एच. बी. (होम्योपैथी), बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल कर्म सन् 1984 में डी. एच. बी. करने के बाद निःस्वार्थ भाव से होम्योपैथिक चिकित्सा में संलग्न हैं। इसके अलावा बिलासपुर में कई वर्षों तक पोस्ट ऑफिस के साथ निवेश परामर्श सेवायें प्रदान करती रहीं। आप एक कुशल गृहिणी होने के साथ साथ एक स्नेहिल परिवार कि अभिभावक हैं । खेल व संस्कृति-कर्म स्कूल व कॉलेज के दिनों में आप एक सफल खिलाड़ी के रूप में जानी जाती थीं। एथलेटिक्स की विभिन्न स्पर्द्धाओं में आपने कई पदक जीते। बैडमिंटन में तो आपने राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पदक अर्जित किया। कॉलेज के दिनों में सांस्कृतिक जगत में भी सक्रिय रहते हुए आपने कई नाटकों, नृत्य-प्रदर्शनों और नृत्य-नाटिकाओं में भाग लिया। वॉयलिन वादन में भी आपकी गहरी रूचि थी। बिलासपुर में बंगाली लेडीज़ क्लब की आप सक्रिय सदस्य रही हैं तथा इस संस्था के माध्यम से कई नाटकों का सफल मंचन हुआ, जिनमें आप लोकप्रिय अभिनेत्री रहीं। साहित्य-कर्म ‘प्रतिध्वनि’ आपकी पहली प्रकाशित पुस्तक है, जो आप द्वारा किया गया अपने स्वर्गीय पति डॉ. चन्द्रशेखर बैनर्जी रचित बांग्ला रचनाओं का हिंदी-अनुवादित संकलन है।

Recommended Books

Explore our bestselling catalog, featuring a wide array of novels, poetry, and more—each piece a journey through compelling stories and evocative words.

Shopping Basket

Discount Codes Available

Copy code and enter on checkout.

Flat 10% Discount on Poetry Books

Minimum Purchase 149

Flat 10% Discount on Novels

Minimum Purchase 149

Flat 5% Discount on Academic Books

Minimum Purchase 199

Apply to Get 4 Bookmarks for Free

No Minimum Purchase Required