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Juhi Ke Phool

Author: Deepak Chaurasiya. Ishdeep

Book Cost

Original price was: ₹249.Current price is: ₹149.

Short Description

जूही के फूल हिंदी कविताओं क्षणिकाओं और कुछ चुनिंदा गीतों का संग्रह है। काव्य संग्रह के रूप में यह मेरी पहली प्रकाशित पुस्तक है और मैं अपने सुविज्ञ पाठकों को यह विश्वास दिलाता हूँ कि इसे पढ़कर आप सब जीवन के उन सभी रसों का रसास्वादन कर सकेंगे जो मानवीयता का एक श्रेष्ठतम गुण है।

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Page Count

142

Book Type

Paperback

ISBN

9788197015670

Mrp

249

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

जूही के फूल हिंदी कविताओं क्षणिकाओं और कुछ चुनिंदा गीतों का संग्रह है। काव्य संग्रह के रूप में यह मेरी पहली प्रकाशित पुस्तक है और मैं अपने सुविज्ञ पाठकों को यह विश्वास दिलाता हूँ कि इसे पढ़कर आप सब जीवन के उन सभी रसों का रसास्वादन कर सकेंगे जो मानवीयता का एक श्रेष्ठतम गुण है। इस संग्रह में संकलित हर कविताएँ एक नए भाव और कहानी का व्याख्यान करती हैं, जिसमें आप निश्चित ही आत्मदर्शन और भावानुभूति के साथ-साथ प्रेम, करुणा, क्रांति, प्रेरणा, राष्ट्रप्रेम, वीरता, स्त्रीत्व, प्रकृति, सामाजिक परिदृश्य व अन्य कई जीवन की नैसर्गिक संभावनाओं से परिचित हो पाएंगे। प्रकृति न जाने कितनी घटनाओं की साक्षी रही, न जाने कितने भाव और विचारों को बिना किसी शाब्दिक अभिव्यक्ति के समझा और प्रस्तुत भी किया। आज मनुष्यता जिस पड़ाव पर अटकी है वहाँ शब्दों की प्रबलता तो है पर कहीं न कहीं भाव क्षीण हो चुकी है, जीवन तो उसी जूही के फूल जैसा हो। वही जूही जो श्वेत है, कलंकहीन भी, जिसने धरा को चूमा अनगिनत भ्रमरों के लिए समर्पित, जो अपनी निष्प्राणता में भी शाश्वत है। कविताएँ स्वयं जन्म ले लेती हैं प्रकृति से, हृदय, प्रेम, मुस्कान, संघर्ष और रुदन से भी बस इसके लिए जीवन्तता का बीज बोना होगा। मगर यह भ्रम छोड़कर कि मात्र हाथ पांव गतिमान होना जीवित रहने का प्रतीक है। इस संग्रह में एक छोटे बच्चे के भाव और  पसंद से लेकर एक वृद्ध और आत्मलब्ध व्यक्तित्व की चेतनानुकूल कविताएँ संकलित हैं। शेष परिचय और समीक्षा की जिम्मेदारी मैं अपने सुविज्ञ व चैतन्य पाठकों को सौंपता हूँ। आपकी प्रशंसाओं और आलोचनाओं का हार्दिक स्वागत है। सप्रेम, सभी पाठकों को समर्पित।

About the Author

दीपक चौरसिया ईशदीप का जन्म 16 दिसम्बर 2002 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ। बचपन से ही पिता श्री जगन्नाथ चौरसिया और माता श्रीमती श्यामलता चौरसिया के संघर्षों और उनका अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा दीक्षा के प्रति सदैव समर्पित होने के भाव को देखकर अभिभूत रहे, और यही उनके भीतर एक नई सृजनात्मकता और उत्साह का माध्यम बनी रही। प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा गृह जनपद से ही हुई वर्तमान में ये फार्मासिस्ट की शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं और स्वास्थ्य क्षेत्र में जुड़े हुए हैं, हिन्दी में रुचि और प्रेम होने के कारण इन्होंने विज्ञान छोड़कर हिन्दी में अपनी शैक्षणिक अभिरुचि दिखाई और फिलहाल हिन्दी साहित्य से स्नातक की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ईशदीप ने अपने साहित्यिक यात्रा की शुरुआत कक्षा आठवीं में रहते हुए माँ मेरी दुनिया तेरी आँचल में नामक कविता से की। इनकी कविताएँ, गीत, गजल, आलेख, निबंध और स्वास्थ्य चर्चाएं अनेकों समाचार पत्रों और पत्र पत्रिकाओं जैसे काव्य प्रहर, भारतीय परम्परा, मंदाकिनी, अभ्युदय, शब्द सत्ता इत्यादि में प्रकाशित होती रहती हैं। साथ ही विभिन्न साझा काव्य संग्रह में भी इनकी कविताएँ प्रकाशित हैं। शैक्षणिक एवं साहित्य क्षेत्र में अपना योगदान देने के लिए तथा श्रेष्ठ रचनाओं के लिए विभिन्न प्रशस्तियों व पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। इनका मानना है कि प्रेम और करुणा ही हमें मनुष्य बनाती है, जो हमारे भीतर जीवन का सृजन करता है वरना शरीर तो सबका गतिमान है पर उन्हें जीवित नही कहा जा सकता। प्रेम के बिना जीवन कब्र के समान है।

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