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Author: Ankita Verma

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Original price was: ₹229.Current price is: ₹219.

हम सर्वप्रथम कलम की देवी मां 'सरस्वती', अपने जड़ व अपनी नींव 'आजी-बाबा', 'मम्मी-पापा' सभी बड़ों को धन्यवाद देना चाहती हूं जिनके आशीर्वाद से आज आपकी नन्हीं-सी शाखा जो पल्लवित हो, उरूज की ओर बढ़ रही है। और धन्यवाद करना चाहूंगी उस व्यक्ति को जिन्होंने ये कहा- "जो सहेजा नही जायेगा, वो तो खो ही जायेगा"। जिन्होंने हमारे भीतर के ललक को हमसे मिलवाया जिन्होंने हमारे उपद्रवी मस्तिष्क को प्रोत्साहित किया वह हैं 'सौरभ जी'। जिनको आभार व्यक्त किए बिना यह पुस्तक अधूरी मानी जायेगी।

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Page Count

161

Book Type

Paperback

ISBN

9788197242425

Mrp

225

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

हम सर्वप्रथम कलम की देवी मां ‘सरस्वती’, अपने जड़ व अपनी नींव ‘आजी-बाबा’, ‘मम्मी-पापा’ सभी बड़ों को धन्यवाद देना चाहती हूं जिनके आशीर्वाद से आज आपकी नन्हीं-सी शाखा जो पल्लवित हो, उरूज की ओर बढ़ रही है। और धन्यवाद करना चाहूंगी उस व्यक्ति को जिन्होंने ये कहा- “जो सहेजा नही जायेगा, वो तो खो ही जायेगा”। जिन्होंने हमारे भीतर के ललक को हमसे मिलवाया जिन्होंने हमारे उपद्रवी मस्तिष्क को प्रोत्साहित किया वह हैं ‘सौरभ जी’। जिनको आभार व्यक्त किए बिना यह पुस्तक अधूरी मानी जायेगी। उन सभी जानें-अंजाने सहयोगियों को जिन्होंने जानें-अंजाने ही सही इस छोटी-सी शाखा की छटाई की और उसे मजबूती दी। पुस्तक के नाम, उसके रूप के काल्पनिक स्वरुप के लिए स्वयं को धन्यवाद कहना है और हमारे कल्पना को वास्तविक बनाने के लिए ‘राम’ को जिन्होंने पुस्तक के कवर को मुकम्मल किया। उन सभी प्रिय आदरणीय पाठकों को भी जिनके हाथों में हमारी यह पुस्तक है। आज से अंकिता की कविताएं आपकी हुई। लिखने को तो बहुतों ने लिखा- क्या-क्या लिखा, क्या कुछ लिखा, हम भी अपनी कलम को उन्हीं रास्तों पर दौड़ा रहे हैं, उन्होंने भी लिखा होगा उन एहसासों को, उन उलझनों को, उस ना मिलने वाले प्रेम को, मां के ना थकने वाले कदम को, पापा के जिम्मेदारी के भार से झुक चुके कंधे को, परिवार में आए दरार को, उसमें से रिस रहे प्रेम को, हम भी उन्हीं पर अपनी कलम चला रहे हैं, उसे अपनी स्याही से सजा रहें हैं। मुझे इसकी तनिक भी निराशा नही है की मेरे नाम को भी उनके नाम की तरह भुला दिया जायेगा, कलम की पहचान शब्दों से होती है। हमारी कविता में आपको प्रेम मिलेगा उसके दर्द मिलेंगे, परिवार मिलेगा उसके चोट मिलेंगे, ज़िंदगी मिलेगी, उसके कष्ट मिलेंगे, प्रकृति मिलेगी, इसके सुकून मिलेंगे, एक अंकिता मिलेगी, उसके उलझे तमाम स्वरूप मिलेंगे। कहते नही है पर अपनी हर कविता में थोड़े-थोड़े हम हैं।

About the Author

अंकिता वर्मा जी का जन्म गाज़ीपुर के एक छोटे से गांव बड़ागांव में एक शिक्षित परिवार में हुआ है। आपके पिता जी अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक हैं और बाबा गणित के प्रधानाध्यापक। मां कुशल गृहणी के साथ-साथ एक बेहतर शिक्षिका भी हैं। आप बाल्यावस्था से ही बनारस शहर में रहती हैं, और अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण कर फाइन आर्ट में आपने स्नातक स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। आपने अपनी कलम लेखनी के लिए बहुत ही छोटी अवस्था में ही उठा लीं थीं। यदि प्रेरणा की बात करें तो लिखने की प्रेरणा आपको आपके मम्मी पापा की डायरी देखकर आई थी। तब आप महज़ 9 वर्ष की थी, और तब आपने भी अपनी छोटी-सी डायरी की दुनियां बनाई। जिसमें आपने दिनचर्या के पसंदिदा क्षणों को लिखना प्रारंभ किया। कक्षा 6 में पहुंचते-पहुंचते आप चार-चार लाइन की कविता लिखकर विद्यालय में पुरस्कृत भी होती थी। साथ ही साथ रंगों के प्रति आपके लगाव को भी आप साथ लेकर चलती थी। पढ़ाई में ज्यादा समय देने के लिए आपको अपनी लेखनी को छोड़ना पड़ा था। उस वक्त आपको यह ज्ञात नही था की आप पुनः कलम थामेंगी। जिले स्तर के लेखन प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान लाने के उपरांत मिले हौसला अफजाई से आपका हृदय पुनः लिखने को आतुर हो गया। आपको शुद्ध हिंदी लिखना बोलना बहुत अधिक प्रिय है। ‘आत्म मंथन’ आपकी पहली काव्य संग्रह है। अंकिता जी ने बताया कि वह कभी भी नही सोची थी की वह अपने काव्य को एक पुस्तक का रूप देंगी। आपको एतिहासिक स्थानों पर जाना और उनको जानना अच्छा लगता है, लेकिन अभी तक आपने कोई यात्रा नही किया है। अंकिता वर्मा जी को अभी तक में 38 पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। आपने अपना नाम इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज़ कराया है। और आप 3 बार वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर रह चुकीं हैं। आपने बनारस पर सबसे बड़ी कविता लिखकर वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराया है। जो जल्द ही पुस्तक रूप में आप सभी के हाथों में होगी। अंकिता जी की कविता अमर उजाला, रणभेरी अखबार, अनोखी पत्रिका में भी प्रकाशित हो चुकी है। अंकिता वर्मा जी का मानना है कि उनको यह लेखनकला मिलना सरस्वती जी का उनपर आशिर्वाद है और यह भी कह सकते है कि आपको तूलिका और कलम दोनों ही विरासत में मिली है। आपने लेखन का कोई समय निर्धारित नहीं किया है, लेकिन आकस्मिक हृदय में उमड़ते ख्याल को आप कोरे कागज़ पर उतारे बिना नहीं रह पाती हैं। ये बोलती क़िताब है। ये क़िताब रोमांच अनुभव घटनाओं से भरी हुई है। स्वागत है आपका ज़िंदगी की इस क़िताब में।

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