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Ankahe Apne

Ankahe Apne

Author: Kailash

Book Cost

Original price was: ₹249.Current price is: ₹199.

Short Description

"“कुछ ख्वाहिशें पूरी नहीं होती... मगर उनके टूटने से ही असली जीवन की शुरुआत होती है।” ""अनकहे अपने"" केवल एक उपन्यास नहीं है — यह उन भावनाओं का दस्तावेज़ है, जो अक्सर दिल में रह जाती हैं, कहे नहीं जाते, लेकिन जी ली जाती हैं। यह उन पलों की कहानी है, जो कभी शब्दों में ढल नहीं पाते, मगर हमेशा स्मृति में रह जाते हैं। इस पुस्तक में कुछ घटनाएँ बिल्कुल सच से जुड़ी हैं, तो कुछ कल्पनाओं की नींव पर बुनी गई हैं — लेकिन भावनाएँ हर शब्द में असली हैं। ये पात्र और उनके रिश्ते, उनके सपने और उनके संघर्ष — हमारे-आपके जैसे ही हैं। यह कहानी अद्विक और प्रियांशी जैसे पात्रों के माध्यम से हमें एक यात्रा पर ले जाती है — जहाँ प्रेम है, पढ़ाई है, संघर्ष है, सामाजिक सीमाएँ हैं, और...

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Page Count

128

Book Type

Paperback

ISBN

978-93-6402-297-2

Mrp

249

Genre

Novel

Language

Hindi

About the Book

““कुछ ख्वाहिशें पूरी नहीं होती… मगर उनके टूटने से ही असली जीवन की शुरुआत होती है।” “”अनकहे अपने”” केवल एक उपन्यास नहीं है — यह उन भावनाओं का दस्तावेज़ है, जो अक्सर दिल में रह जाती हैं, कहे नहीं जाते, लेकिन जी ली जाती हैं। यह उन पलों की कहानी है, जो कभी शब्दों में ढल नहीं पाते, मगर हमेशा स्मृति में रह जाते हैं। इस पुस्तक में कुछ घटनाएँ बिल्कुल सच से जुड़ी हैं, तो कुछ कल्पनाओं की नींव पर बुनी गई हैं — लेकिन भावनाएँ हर शब्द में असली हैं। ये पात्र और उनके रिश्ते, उनके सपने और उनके संघर्ष — हमारे-आपके जैसे ही हैं। यह कहानी अद्विक और प्रियांशी जैसे पात्रों के माध्यम से हमें एक यात्रा पर ले जाती है — जहाँ प्रेम है, पढ़ाई है, संघर्ष है, सामाजिक सीमाएँ हैं, और भीतर से उभरता आत्मबल भी है। यह उपन्यास किसी कल्पनालोक का निर्माण नहीं करता, बल्कि यथार्थ के उन पहलुओं को छूता है जो हर युवा के जीवन में कभी न कभी सामने आते हैं। कहानी के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर जब कॉलेज के प्राचार्य मंच से कहते हैं: “कुछ पाने के लिए कुछ ख्वाहिशों को दफ़न करना पड़ता है।” तो वह संवाद केवल एक अध्यापक का भाषण नहीं, बल्कि हमारे पूरे समाज का एक कटु सत्य बन जाता है। यही वह पल है जब हम समझते हैं कि भावनाओं और जिम्मेदारियों के बीच की खाई कितनी गहरी है।— “”एक शेर जो इस पुस्तक के हर पृष्ठ में जीवित है:”” “”वो जो चुप रहते हैं, उनका भी शोर होता है, खामोशियों के पीछे भी एक ज़ोर होता है।”” आज के युग में जब पढ़ाई और प्यार दोनों ही जीवन की अनिवार्य धुरी बन चुके हैं, तब यह प्रश्न बहुत गूंजता है — “”क्या पढ़ाई के साथ प्यार मुमकिन है?”” इस प्रश्न का उत्तर ‘अनकहे अपने’ की हर पंक्ति में छुपा हुआ है। जहाँ प्रेम सिर्फ़ भावुकता नहीं, एक प्रेरणा बन जाता है — और पढ़ाई, सिर्फ़ एक करियर नहीं, एक साधना। यदि आप यह उपन्यास पढ़ते समय कहीं रुक जाएँ, सोच में पड़ जाएँ — तो समझ लीजिए, आपने सिर्फ़ एक कहानी नहीं पढ़ी, बल्कि कहानी ने आपको पढ़ लिया है। “”अनकहे अपने”” हर उस युवा की आवाज़ है जिसने प्रेम किया है, सपने देखे हैं, और समाज की सीमाओं से जूझते हुए अपनी राह बनाई है। “”यह कहानी हर उस दिल की है जो धड़कता तो है, पर कह नहीं पाता — और फिर भी उम्मीद नहीं छोड़ता।”””

About the Author

कैलाश कुमार का जन्म राजस्थान के फलोदी ज़िले की बापिणी तहसील के करण नगर (निंबो का तालाब) नामक छोटे-से गाँव में हुआ। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े कैलाश जी ने प्रारंभिक जीवन के अनुभवों को न केवल आत्मसात किया, बल्कि उन्हें अपनी लेखनी में भी जीवंत किया। वर्तमान में आप राजस्थान शिक्षा विभाग में बतौर सरकारी शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। हिन्दी साहित्य के उपन्यासों और कविताओं को पढ़ने में आपको विशेष रुचि रही है, और यही साहित्यिक प्रवृत्ति धीरे-धीरे आपको लेखन की ओर ले आई। आपके कई लेख एवं कविताएं विभिन्न दैनिक व मासिक साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं, जिन्हें पाठकों ने अत्यंत सराहा है। समाज में युवाओं के तनाव, अवसाद (डिप्रेशन) और जीवन-संघर्ष जैसे विषयों पर आपकी विश्लेषणात्मक लेखनी विशेष रूप से चर्चित रही है। “अनकहे अपने” आपका प्रथम उपन्यास है — एक ऐसा उपन्यास, जो सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक पीढ़ी की भावनाओं, द्वंद्वों और सपनों का दस्तावेज़ बनकर उभरा है। आपका यह अभिमत है कि व्यक्ति को जीवन में दृढ़ निर्णय लेने चाहिए, और उन निर्णयों को यथार्थ में परिणत करने हेतु पूर्ण समर्पण, पुरुषार्थ तथा आत्मनिष्ठा के साथ निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए। “आपकी लेखनी सादगी, संघर्ष और संवेदना का सजीव चित्र प्रस्तुत करती है।”

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