यह पुस्तक ……
प्रत्येक मानव का भावनात्मक आचरण सामाजिक विसंगतियों से जूझने तथा आवेग और प्रतिक्रियाओं को निरस्त्र करने में भी सहायक सिद्ध होता है । कवयित्री की यह कृति बहुत ही सकारात्मक संदेश दे रही है। इस कृति की अनेकों रचनाएं परिवार और समाज में सदभाव को बढ़ावा देने में निश्चय ही सहायक सिद्ध होगी।
—: डॉ रीता सक्सेना (वरिष्ठ लेखिका)
मंजू जी का यह प्रथम संग्रह कच्चे दूध की सुवास वाला है ।ये प्राकृतिकता इस सँग्रह की विशेषता है मंजू जी एक परामर्शक भी है तो उनका अनुभव इन रचनाओं में भी परिलक्षित होता है। बिम्ब, प्रतीक शैली की सहजता के कारण यह संग्रह मोटिवेशनल रचना संसार लेकर पाठक के सामने आता है..जो निरन्तर सीखने और सतत आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है..
—: मोनिका गौड़ (साहित्यकार व समालोचक)
यह बीज रोपित होते हैं अपने आसपास के वातावरण को देखकर… मंजू की कविताएं उनके मन के भाव है जो प्रकृति से प्रेरित है और जीवन के हर पहलु को वो गहराई से देखती और महसूस करती है।
यही वजह भी है की उनके लेखन की कोई एक विधा नहीं है और वो जीवन के हर पहलु पर सरलता से लिखती हैं. जैसे कभी ज़िंदगी की पशोपेश पर, तो कभी कुदरत की अद्भुत खूबसूरती पर, तो कभी प्रेम पर तो कभी विरह पर, कभी रिश्तों पर ।
—-: अंशु हर्ष (सम्पादक व पब्लिशर)
कहीं कहीं ऐसा लगता है कोई कोई कविता हम सबके मन की बात कहती है, यही कविता की सार्थकता है।इतने श्रेष्ठ सुंदर भावनाओं के
शब्द पुष्प गुच्छों की सुगंध को ढेर सारा आशीर्वाद।।
—-: कुलभूषण दीप (ब्लड मैन व समाजसेवी)