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Bikhre Patte

Bikhre Patte

Author: Bijay Joshi

Book Cost

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Short Description

"बिखरे पत्ते" विजय जोशी का एक संवेदनशील काव्य-संग्रह है, जो जीवन की गहरी सच्चाइयों, टूटे सपनों, बेरोज़गारी, अकेलेपन और समाज की विडंबनाओं को मार्मिक शब्दों में अभिव्यक्त करता है।

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Page Count

96

Book Type

Paperback

ISBN

978-9364028813

Mrp

249

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

“बिखरे पत्ते” विजय जोशी का एक संवेदनशील काव्य-संग्रह है, जो जीवन की गहरी सच्चाइयों, टूटे सपनों, बेरोज़गारी, अकेलेपन और समाज की विडंबनाओं को मार्मिक शब्दों में अभिव्यक्त करता है। इन कविताओं में गाँव की मिट्टी की खुशबू है, प्रेम और विरह की अनुभूतियाँ हैं, और सामाजिक असमानताओं के प्रति एक सशक्त प्रश्न भी। लेखक ने सहज भाषा में मानवीय संवेदनाओं, संघर्षों और उम्मीदों को पिरोया है। यह पुस्तक पाठक को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती है और जीवन के सूक्ष्म पहलुओं को छूती हुई, मनुष्य और समाज के बीच गहरे संबंधों को उजागर करती है।

About the Author

जीवन परिचय – नाम बिजय जोशी जन्म देवभूमि उत्तराखंड के एक बहुत मनमोहक गांव नांगिलागांव में हुआ, जो पिथौरागढ़ जिले में पड़ता है । बचपन से कविता लिखने का शौक था , कभी स्कूल की किताब के खाली जगह में लिखता कभी, किसी डायरी में शिक्षा- ग्रेजुएशन, जीवन की साधारण-सी राहों से गुजरते हुए असाधारण अनुभवों को शब्दों में पिरोना ही मेरी पहचान है। मेरा जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ, जहाँ जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों ने ही मुझे कविता लिखने की प्रेरणा दी। बचपन से ही मन में संवेदनाओं की गहराई रही है। मैंने देखा है गरीबी, बेरोजगारी और अकेलेपन की छाया को, और महसूस किया है समाज के उन अनकहे दर्दों को जिन्हें अक्सर लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं। इन्हीं अनुभूतियों ने मेरी कलम को शक्ति दी। मेरी कविताएँ केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि मन की बेचैनी, संघर्ष की कहानी और आशा की किरण हैं। मैं मानता हूं कि कविता दिल की भाषा है, जो हर संवेदनशील मनुष्य के भीतर होती है रोजमर्रा की आपाधापी में जब मन थक जाता है,रोजगार की उधेड़बुन से मन बैचेन हो जाता है तब मन कल्पना के उस संसार में चले जाता है जहां शब्द काव्यात्मक हो जाते है, कुछ स्वत ही लिखने लगता है । जो हमें मानसिक रूप से थकान से मुक्ति दिलाता है

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