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Boli Aaboli

Boli Aaboli

Author : Rekha Khanna

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Original price was: ₹249.Current price is: ₹199.

Short Description

कभी कभी सोचती हूँ कि लेखक, लेखक क्यूँ बनता है? क्या वो लिखता है इसलिए यां फिर लेखन खुद चुनता है हमें, हमारे भीतर छिपे शब्दों के कलाकार को पहचान कर। एक लेखक जानता है कि उसे कैसे शब्दों का मायाजाल बुनना है और कैसे अपने ख्यालों को काग़ज़ की ज़मीं पर रोंपना है। लेखक अपने मन के भावों को कलम के हवाले करता है इस भरोसे के साथ कि वो साथ देगी उन भावों को उकेरने के लिए। वो लिखता है खुशी, दुःख, ख्याल, अधूरे तो.....

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Page Count

166

Book Type

Paperback

ISBN

978-93-6402-208-8

Mrp

249

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

कभी कभी सोचती हूँ कि लेखक, लेखक क्यूँ बनता है? क्या वो लिखता है इसलिए यां फिर लेखन खुद चुनता है हमें, हमारे भीतर छिपे शब्दों के कलाकार को पहचान कर। एक लेखक जानता है कि उसे कैसे शब्दों का मायाजाल बुनना है और कैसे अपने ख्यालों को काग़ज़ की ज़मीं पर रोंपना है। लेखक अपने मन के भावों को कलम के हवाले करता है इस भरोसे के साथ कि वो साथ देगी उन भावों को उकेरने के लिए। वो लिखता है खुशी, दुःख, ख्याल, अधूरे तो कभी पूरे हुए सपने, विश्वास, बिखरा हुआ मन, विवशता, एहसास, ज़ख्म, खामोशियांँ, टूटता हुआ खुद का वजूद, दिल का मनहर राग, आसमां छू लेने की तमन्ना तो कभी पाताल की गहराईयों में झांँकने की इच्छा, कभी अकेलापन, अंँधेरों का डर, रौशनी की चाहत, पंँखो की चाहत और भी ना जाने जाने क्या क्या। लेखक जनता है कि किन शब्दों का इस्तेमाल कर के अपनी स्याही को जानदार कर सकता है। लेखक जानता है कि उसे अपने लेख या रचना को कब और कितनी मात्रा में अमृत पिलाना है कि वो हमेशा जिंदा रहे लोगों के ज़हन में। प्रकाशित संकलन (सहलेखक) …. लेखनी परिवार के सांँझा संकलन “लेखनी मिहिका, लेखनी निनाद, लेखनी मंजूषा, लेखनी राजिका, लेखनी सारिका” Prakalp Publication का सांँझा संकलन .… “दास्तां” Manda publishers का सांझा संकलन “रूहानी राग” Manda publishers का सांझा संकलन “अहसासों की चिट्ठी” दो शब्द…अनगिनत एहसासों और मन में उमड़ती भावनाओं को शब्दों में बाँधने‌ का छोटा सा प्रयास करती हूँ। जो ख्याल‌ दिल को टकरा जाए उसे शब्दों में बांँध देती हूँ। लेखनी परिवार की आभारी हूँ जिन्होंने मुझे एक साधारण रचनाकार से एक लेखक बना दिया।

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