जूही के फूल हिंदी कविताओं क्षणिकाओं और कुछ चुनिंदा गीतों का संग्रह है। काव्य संग्रह के रूप में यह मेरी पहली प्रकाशित पुस्तक है और मैं अपने सुविज्ञ पाठकों को यह विश्वास दिलाता हूँ कि इसे पढ़कर आप सब जीवन के उन सभी रसों का रसास्वादन कर सकेंगे जो मानवीयता का एक श्रेष्ठतम गुण है।
इस संग्रह में संकलित हर कविताएँ एक नए भाव और कहानी का व्याख्यान करती हैं, जिसमें आप निश्चित ही आत्मदर्शन और भावानुभूति के साथ-साथ प्रेम, करुणा, क्रांति, प्रेरणा, राष्ट्रप्रेम, वीरता, स्त्रीत्व, प्रकृति, सामाजिक परिदृश्य व अन्य कई जीवन की नैसर्गिक संभावनाओं से परिचित हो पाएंगे।
प्रकृति न जाने कितनी घटनाओं की साक्षी रही, न जाने कितने भाव और विचारों को बिना किसी शाब्दिक अभिव्यक्ति के समझा और प्रस्तुत भी किया। आज मनुष्यता जिस पड़ाव पर अटकी है वहाँ शब्दों की प्रबलता तो है पर कहीं न कहीं भाव क्षीण हो चुकी है, जीवन तो उसी जूही के फूल जैसा हो।
वही जूही जो श्वेत है,
कलंकहीन भी,
जिसने धरा को चूमा
अनगिनत भ्रमरों के लिए समर्पित,
जो अपनी निष्प्राणता में भी शाश्वत है।
कविताएँ स्वयं जन्म ले लेती हैं प्रकृति से, हृदय, प्रेम, मुस्कान, संघर्ष और रुदन से भी बस इसके लिए जीवन्तता का बीज बोना होगा। मगर यह भ्रम छोड़कर कि मात्र हाथ पांव गतिमान होना जीवित रहने का प्रतीक है।
इस संग्रह में एक छोटे बच्चे के भाव और पसंद से लेकर एक वृद्ध और आत्मलब्ध व्यक्तित्व की चेतनानुकूल कविताएँ संकलित हैं।
शेष परिचय और समीक्षा की जिम्मेदारी मैं अपने सुविज्ञ व चैतन्य पाठकों को सौंपता हूँ। आपकी प्रशंसाओं और आलोचनाओं का हार्दिक स्वागत है।
सप्रेम, सभी पाठकों को समर्पित।