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Kahin Padha Tha

Kahin Padha Tha

Author: Ashish Verma

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Original price was: ₹299.Current price is: ₹219.

Short Description

"कहीं पढ़ा था" में लेखक ने ऐसे विषयों को सम्मिलित किया है, जिनसे हम रोज़ मुखातिब तो होते हैं लेकिन उन्हें गहराई से जान नहीं पाते। इसमें आपको अनेक विषयों जैसे प्रेम, धर्म, ईश्वर, अध्यात्म, समाज एवं संस्कृति, स्त्रीत्व, किसान जैसे और भी बहुत से विषयों को गहराई से जानने का मौका मिलेगा। यह एक साहित्यिक कृति है जिसे हर वर्ग और उम्र के लोग पढ़ सकते हैं। एक ओर प्रेम की पवित्रता और निश्छलता मिलेगी तो वहीं सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर आधुनिक भारत का समाज मिलेगा, एक ओर हिन्दू, बौद्ध, ईसाई धर्म की प्रेरणा मिलेगी तो दूसरी ओर

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Original price was: ₹299.Current price is: ₹219.

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Page Count

155

Book Type

Paperback

ISBN

978-93-6402-528-7

Mrp

299

Genre

Novel

Language

Hindi

About the Book

“कहीं पढ़ा था” में लेखक ने ऐसे विषयों को सम्मिलित किया है, जिनसे हम रोज़ मुखातिब तो होते हैं लेकिन उन्हें गहराई से जान नहीं पाते। इसमें आपको अनेक विषयों जैसे प्रेम, धर्म, ईश्वर, अध्यात्म, समाज एवं संस्कृति, स्त्रीत्व, किसान जैसे और भी बहुत से विषयों को गहराई से जानने का मौका मिलेगा। यह एक साहित्यिक कृति है जिसे हर वर्ग और उम्र के लोग पढ़ सकते हैं। एक ओर प्रेम की पवित्रता और निश्छलता मिलेगी तो वहीं सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर आधुनिक भारत का समाज मिलेगा, एक ओर हिन्दू, बौद्ध, ईसाई धर्म की प्रेरणा मिलेगी तो दूसरी ओर गुरु ज्ञान भी मिलेगा फिर वो गुरु सुकरात हो या चार्वाक। कुछ ऐसे जानकारी भी मिलेगी जो आपको और अधिक जानने और सीखने के प्रति प्रेरित करेगी। जो लोग मंचों पर अपनी बातें और प्रभावी ढंग से रखना चाहते हैं उनके लिए यह पुस्तक वरदान साबित होगी।

About the Author

आशीष वर्मा मूलतः मध्यप्रदेश के सीहोर जिले से हैं, लेकिन वर्तमान में इंदौर में निवास करते हैं। इन्होंने एम.टेक. (एनर्जी मैनेजमेंट) में अध्ययन किया है और टाटा पावर जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में कार्य का अनुभव प्राप्त करने के बाद अब सौर ऊर्जा संयंत्रों के मेंटेनेंस के क्षेत्र में सक्रिय हैं। आध्यात्मिक ग्रंथों—जैसे श्रीमद्भगवद्गीता और रामचरितमानस—तथा दार्शनिक साहित्य में इनकी गहरी रुचि है। सामाजिक विषयों पर इन्होंने अनेक कविताएँ भी लिखी हैं। खेती-किसानी से भी इनका जुड़ाव बना हुआ है। यह पुस्तक लिखने की प्रेरणा आशीष वर्मा को अपने ताऊजी के उन विचारों से मिली, जो मानते थे कि अगर कोई उनके लिखे हुए पन्नों को पढ़ ले, तो वह हर मंच पर अपनी बात कहने में सक्षम हो जाएगा क्योंकि उन्होंने हर विषय पर लिखा है। ताऊजी के इन्हीं विचारों और अनुभवों को सामने लाने का यह प्रयास युवा राजनेताओं और समाज के जागरूक पाठकों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। आशीष वर्मा इन दिनों अपनी आगामी पुस्तक पर भी कार्य कर रहे हैं, जो भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रेरित होगी। इसका प्रकाशन अगले वर्ष तक प्रस्तावित है।

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