यह कोई नई बात नहीं है कि समाज में अपनी बात रखने के लिए विभिन्न माध्यमों का प्रयोग किया जाता है। सदियों से दुनिया के हर समाज के बुद्धजीवियों ने अपने विचार रखने के लिए विभिन्न तरीकों या माध्यमों का प्रयोग किया है। किसी ने अपनी बात भाषणों के माध्यम से रखी है,तो किसी ने प्रवचनों के द्वारा। कोई लेखन से अपने भाव-विचार प्रस्तुत करता है तो कोई गीत-गायन से। हर व्यक्ति के पास एक कला होती है, स्वयं को प्रदर्शित करने की। कविता लेखन भी उन्हीं माध्यमों में से एक मध्यम है -जिसके द्वारा कवि अपनी बात समाज के कोने कोने तक पहुंचाने का प्रयास करता है। हमने अपनी संपादित पुस्तक “कलम के राहगीर” में ऐसे भिन्न भिन्न कवियों को स्थान दिया है जो भारत के विभिन्न राज्यों (उत्तर प्रदेश,बिहार,राजस्थान,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र,…… आदि) से हैं। जो अपनी बात या विचार भारतीय समाज के समक्ष रखना चाहते हैं। हम रचनाकारों के साथ- साथ हम उन सभी मार्गदर्शकों, शिक्षकों व साथियों के भी आभारी हैं जिनके प्रोत्साहन से हम इस कार्य को करने में सफल हुए। आप सभी के सहयोग से ही “कलम के राहगीर” साझा संग्रह का संपादन हो पाया है। यह विभिन्न कवियों द्वारा लिखी कविताओं का संग्रह है जिसके पढ़ने से हम विभिन्न कवियों के विचार से अवगत होंगे । यह पुस्तक “कलम के राहगीर” साझा संग्रह, सुधी पाठकों तक कविता के रूप में विभिन्न कवियों की स्वरचनाएं सरल और सहज तरीके से प्रेषित करने की एक पहल है । इस किताब को पढ़ने के बाद जो भी इसमें त्रुटियाँ हों उनसे हमें अवस्य ही अवगत कराएं जिससे हम और भी बेहतर तरीके से अगली बार अपनी बात आप तक पहुँचा सकें। आशा करते हैं पाठक पुस्तक को पढ़कर न सिर्फ कविताओं का आनंद लेंगे वल्कि उनमें निहित कवि के विचारों को भी समझेंगे क्योंकि कविता केवल आनंद का माध्यम नहीं होती, बल्कि इसके मूल में कवि के भाव -विचार होते हैं जो समाज को दिशा देने का कार्य भी करते हैं जिन्हें वह किसी विषय पर रखता है और उन विचारों को पद्य विधा (कविता) के माध्यम से समाज को उसी भांति प्रदत्त करता है, जैसे कोई लेखक लेख लिखकर, नेता भाषण देकर, साधु प्रवचन देकर तथा कहानीकार कहानी लिखकर करता है । इस पुस्तक को प्रकाशित करने हेतु हम प्रकाशक और उनकी पूरी टीम का भी बहुत- बहुत आभार प्रकट करते हैं।