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Khuddar Ladkiyan

Khuddar Ladkiyan

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Original price was: ₹299.Current price is: ₹199.

Short Description

"हम जितना जीते हैं उससे कहीं ज्यादा महसूस करते हैं और जितना महसूस करते हैं शायद उतना शब्दों में भी नहीं उतार पाते" इस पुस्तक को मां भगवती सरस्वती को अर्पित करती हूं। अपने माता-पिता, भाई- बहनों, रिश्ते-नातों, दोस्तों सभी का प्रेरणा देने के लिए दिल से शुक्रिया करती हूं।

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Original price was: ₹299.Current price is: ₹199.

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Page Count

169

Book Type

Paperback

ISBN

978-93-6402-999-5

Mrp

299

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

“हम जितना जीते हैं उससे कहीं ज्यादा महसूस करते हैं और जितना महसूस करते हैं शायद उतना शब्दों में भी नहीं उतार पाते” इस पुस्तक को मां भगवती सरस्वती को अर्पित करती हूं। अपने माता-पिता, भाई- बहनों, रिश्ते-नातों, दोस्तों सभी का प्रेरणा देने के लिए दिल से शुक्रिया करती हूं। पुस्तक प्रकाशित करना और प्रकाशित पुस्तक का पढ़ा जाना सभी बुद्धिजीवी वर्ग तक पहुंच पाना किसी भी लेखक के लिए सम्मान की बात होती है, कभी जब कोई पूछता है काव्य लिखना क्या है तो बस इतना ही कह पाती हूं “मन की साधना ही ‘काव्य’ को पिरोती है,मन के भाव आप अन्य लेखन में भी समाहित कर लेते हैं परंतु काव्य सृजन एक अगल स्तर के पाठक को ही प्रभावित करता है।” हिंदी भाषी हूं,हिंदी साहित्य को पढ़ना ही मेरी दिनचर्या रही है, हिंदी हमारी भाषा ही नहीं हमारा गुरूर है। आज हिंदी भाषी लोग भारत ही नहीं संसार के हर कोने में निवास करते हैं, शब्दों का जितना साधारण, जितना ग्राह्य रूप हम हिंदी में पाते हैं अन्य कहीं मुश्किल है। आज के ‘डिजिटल युग’ में हम जितना जन साधारण से जुड़ पाए है वह पहले बहुत मुश्किल रहा होगा। एक छोटे से गांव में ही पालन-पोषण होना, वहीं शिक्षा हासिल करना मेरा सौभाग्य रहा है,आज गांव उन्नत हैं और जितने भी महान लेखक व कवि हुए हैं गांवों की पृष्ठभूमि से ही रहे हैं तो ये बात भी हमें निरंतर प्रेरित करती रही है। “खुद्दार लड़कियां” काव्य संग्रह आपको स्त्री विमर्श की अधिकता के साथ ही दुविधा की पराकाष्ठा की भावनाओं में बहते नारी जीवन से अवगत कराएगा। इसके इतर हमारे आस पास की घटनाएं और स्वयं की अनुभूति और कुछ भोगे हुए सत्य को प्रकाशित करती पुस्तक आपको उम्मीद करती हूं कुछ अनसुलझे, कुछ अव्यक्त विषयों को सोचने पर मजबूर करेगी। विनम्र निवेदन के साथ सहज सरल शब्दावली और विषयों की विभिन्नता की प्रचुरता और छोटे-छोटे एहसासों को पुस्तक में समाहित कर पुस्तक की स्वीकृति की कामना करती हूं।

About the Author

ललिता नैन का जन्म 15 अक्टूबर 1986 को हरियाणा के पंचकुला में एक सुशिक्षित परिवार में हुआ। पिता श्री जोगिंदर सिंह नैन, हरियाणा को-ऑपरेटिव बैंक में कार्यरत थे और माता श्रीमती भानुमती देवी, एक कुशल गृहिणी हैं, जिन्हें पढ़ने-लिखने का अत्यधिक शौक रहा है। दैनिक अखबार के साथ-साथ, अक्सर मां को रामायण एवं भगवद गीता के अध्याय पढ़ते हुए देखकर, वे भी बचपन से ही उनके साथ पढ़ती रहीं। इनका पैतृक गांव हरियाणा के भिवानी जिले का भेरा गांव है, जहां पांचों बहन-भाइयों का लालन-पालन और शिक्षा संपन्न हुई। प्रतिदिन 70–80 किलोमीटर की यात्रा करके इन्होंने वर्ष 2005 में स्नातक और 2007 में स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। साथ ही, हरियाणा राज्य सरकार द्वारा संचालित शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) तथा 2008 में एम.फिल. भी उत्तीर्ण किया। 2010 में विवाह हुआ, जो परिस्थितिवश असफल रहा। मानसिक अवसाद से उबरने के लिए विभिन्न संस्थाओं में निःस्वार्थ शिक्षिका के रूप में कार्य किया। 2015 में स्वयं का कोचिंग संस्थान शुरू किया। वर्ष 2018 में UGC-NET की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा 2019 में पुनर्विवाह किया। 2019-21 में b.ed की परीक्षा उत्तीर्ण की, परंतु भ्रष्टाचारी की मेहरबानी कि सरकारी पद प्राप्त ना हो सका। जीवन के तमाम उतार-चढ़ावों के बीच लेखन से निरंतर जुड़ी रहीं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेख और कविताएं प्रकाशित होती रहीं। इनका पहला काव्य-संग्रह एक साझा संकलन “मन की धारा” (भाग-2) फरवरी 2024 में प्रकाशित हुआ। “खुद्दार लड़कियां” इनका प्रथम एकल काव्य-संग्रह है, जो हृदय की गहराइयों से निकली अनुभूतियों को कविताओं, गीतों और ग़ज़लों के गुलदस्ते में समेटते हुए सभी बुद्धिजीवियों को समर्पित है।

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