Description
सामाजिक असंतुलन और वर्तमान में गिरते सामाजिक और राजनैतिक मूल्यों में गिरावट से उद्वेलित मन जब कचोटता है तब कलम चलती है तब मैं कुछ कहता हूँ और वही “मैने कुछ कहा” पुस्तक में कविताओ और गजलों में कहा है और उन्ही का संकलन है यह पुस्तक “मैंने कुछ कहा “
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