Description
लेखनी परिवार की विशुद्ध ज्यामितीय शब्दों के काल्पनिक आरेख की ज्योत्सना में पूरा हमारा लेखनी परिवार नित्य प्रकाशमान हो उठता है, तो आइए किंचित शब्दों के दैदिप्य की आभा, आसा का शब्द सागर, पिपासा की व्यंजना, शाब्दिक प्रेम की पराकाष्ठा का प्रकाश जो कि परम् आदरणीय गुरुदेव आदरणीय संजीव सर जी और परम् आदरणीया प्रिय दीप्ति दीदी के आशीष से लक्षित आलोकित ज्योति किस प्रकार हमारे लेखनी परिवार में अनेक रंगों के मिश्रण इंद्रधनुषी सतरंगों से प्रकाशमान है उसकी प्रज्वलित लौ का क्षणिक प्रकाश देखते हैं।
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