Description
साहित्य के सफ़र में न जाने कितने लोगों से मुलाक़ात होती है जिनमें कुछ तो समय के अंतराल में खो जाते हैं कुछ याद रह जाते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो ताउम्र दिल में बस जाते हैं । ऐसे ही सबके दिल में बसे हुए हैं हरदिल अज़ीज़ नौशाद भाई… उनके शब्द उनका व्यक्तित्व उनका व्यहार हर पल अहसास दिलाता है कि वो हैं यहीं हमारे पास हमारे ही दिलों में । उनकी याद को सजीव करने के लिए हमलोगों ने उनकी ग़ज़लों को एक संकलन के रूप में लाने की कोशिश की है ।
“नायाब” एक ग़ज़ल संकलन है नौशाद भाई के अप्रकाशित ग़ज़लों की जिसके संकलन में नौशाद भाई की पत्नी श्रीमती फरज़ाना नौशाद ने अपनी सहमति के साथ ग़ज़लों की पांडुलिपि भी उपलब्ध करायी जिसके लिए उन्हें तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। “नायाब” महज़ एक क़िताब नहीं है इसमें जुड़ी हैं भावनाओं के पन्ने अहसासों की ज़िल्द और नौशाद भाई के लिए अथाह प्यार और आदरभाव ।
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