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Prakriti aur Manuj

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Author: Anjana Rawat

Book Cost

Original price was: ₹229.Current price is: ₹139.

वर्तमान की त्रासदी यह है कि आधुनिकीकरण के कारण प्रकृति का दोहन हो रहा है, ऐसे में अंजना रावत द्वारा रचित काव्य संग्रह, "प्रकृति और मनुज" अपने-आप में अनूठा और अनुपम भाव लेकर, पाठकों के समक्ष जीवन मूल्यों का बोध कराने में सक्षम है। - डॉ रीता सक्सेना

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Page Count

101

Book Type

Paperback

ISBN

9789364028899

Mrp

227

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

लेखक अपनी इन रचनाओं के माध्यम से जनसामान्य को प्रकृति के संरक्षण के लिए जागरुक एवं जागृत करना चाहती हैं ताकि हम सभी सतत विकास की ओर बढ़ सकें सतत विकास का अर्थ है कि हम अपने विकास के लिए प्रकृति के संसाधनों का प्रयोग करते हुए उनकी संरक्षण और संवर्धन का ध्यान रखें। यह हमें न केवल वर्तमान पीढ़ियों के लिए बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी स्थायी संपत्ति और विकास का संदेश देता है। प्रकृति हमारी आवश्यकता है और हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रकृति के बिना हमारा जीवन असंभव है। प्रकृति हमारी धरोहर है ,हमारी विरासत है इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है हम सभी मिलकर अगर अपने-अपने स्तर पर थोड़ी बहुत भी प्रयास करें तो हम निश्चित तौर पर प्रकृति का संरक्षण कर सकते हैं और एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं हम प्रकृति के उपकार के आजीवन ऋणी है अंजना जी के पाठकों में बच्चों की संख्या भी काफी है इसलिए इस पुस्तक को तीन खंडों में विभाजित किया गया है: खंड” क” विशेष तौर पर बच्चों के लिए लिखा गया है खंड “ख” प्रकृति को समर्पित है तथा खंड “ग” मनुष्य और प्रकृति के संबंधों को दर्शाता हुआ काव्य संकलन है प्रकृति सभी जीव जंतुओं समेत मनुष्य की भी जीवनदायिनी है हमें सदा उसका आभार व्यक्त करना चाहिए क्योंकि कृतज्ञता ही एक ऐसा गुण है जो कि पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे सकता है प्रकृति ही हमारा आज और हमारा कल है हम सभी की उन्नति और सुख प्रकृति से ही संभव है बच्चों को प्रकृति की उदारता की सराहना करना और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होकर कृतज्ञता व्यक्त करना जरूर सिखाना चाहिए ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ी भी प्रकृति का आनंद ले सके और प्रकृति और मनुष्य का संबंध और दृढ़ तथा मजबूत हो सके। इस पुस्तक में कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अभिव्यक्ति का प्रयास किया है तथा कविताओं की भाषा को बहुत ही सरल, सहज ,व्यावहारिक एवं प्रवाहपूर्ण, रखने की कोशिश करी है ताकि जन सामान्य भी इस पुस्तक का आनंद ले सकें।

About the Author

अंजना रावत जी दिल्ली की निवासी हैं, व मूल रूप से उत्तराखंड से हैं। वर्तमान में अंजना जी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, दिल्ली में कार्यरत हैं। उन्हें बचपन से ही हिंदी साहित्य के प्रति लगाव रहा है। अंजना जी इन रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य तथा प्रकृति को अपना गौण सहयोग प्रदान करना चाहती हैं तथा मां प्रकृति का आभार व्यक्त करना चाहती हैं। अंजना जी गद्य और पद्य विधाओं में सक्रिय हैं। कई ऑनलाइन और ऑफलाइन मंचों पर काव्य पाठ कर चुकी हैं ‘अपराजिता’ और ‘वसुंधरा’ समेत कई पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रही है सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम पर सक्रिय कई मंचों जैसे, शब्दहार, अपनी हिंदी, श्री नर्मदा प्रकाशन इत्यादि पर आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। इनकी पहली पुस्तक प्रकृति के 51 आयाम साल 2023 में प्रकाशित हुई है जो प्रकृति को ही समर्पित है और प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शाने के उद्देश्य से लिखी गई है। Connect with author Instagram Id : @shabdkiduniya

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