Raat Julaahin

149

Author: Aditi Singh ‘Pavitra’

Purchase this book and get 14 Points -  worth 7

Description

रात जुलाहिन की भूमिका लिखते हुए सोच रही हूँ कि लिखना मेरे लिए कब इतना सहज हो गया, जबकि मेरे सपने तो कभी कविताओं के रंग में रंगे ही नहीं थे। न ही कभी इस बारे में सोचा था। और फिर अतीत के स्मृति चित्रों का मेरी आँखों के सामने परत दर परत खुलते जाना, बीते सालों के धुँधले से रंगों का वर्तमान में छप जाना।

एक दिन मौत ने हल्के से दरवाज़ा खटखटाया और अपने हिस्से का जीवन लेकर चली गयी। पीड़ा का सागर उफ़नता रहा बची कुछ चंद साँसें लड़ती रहीं दिनों तक। दूर-दूर तक अकेलापन, ख़ामोशी, पीड़ा, शून्यता..
धीरे-धीरे दिन से मन का उचाट और रात से हमयारी।
फिर मेरा क्या? सब रात का हुआ।
रात जुलाहिन मेरी आँखों पर उभर आई वही भाव पीड़ाएँ हैं जो कही नहीं जा सकीं। जिन्हें मैंने घूंट-घूंट पीकर शब्दों में ढाला है।

दोस्तो, रात हम सबके अंतर्मन का आईना है इसकी धुँधली सी दीप्ति में हम दिशा पाते हैं। रात के क्रोशिये से बुने जाते हैं खूबसूरत ख़्वाब, रात जुलाहिन है। ये जुलाहिन मेरे और आपके सपनों को बुनती है जिन्हें तकिये के नीचे दबा कर हमें सो जाना होता है। ये जुलाहिन रात यूँ ही सपनों को बुनती रहेगी और मैं और आप इसको पढ़ते रहेंगे।

Additional information

Weight 0.13 kg
Dimensions 20 × 10 × 1 cm

Product Details

ISBN:978-93-95174-03-9
Size: 5×8
Format: Paperback
Pages: 135
Language: Hindi
Genre: Poetry
Mrp: 149/- INR

1 review for Raat Julaahin

  1. Ram Manohar Singh

    Thod one is best book.

Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *