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Rangbirangi

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Description

ईश्वर की सर्वोत्तम कृतियों में से एक है नारी रूप।

सर्वोकृष्ट भावों से सराबोर होते हुए भी नारी का जन्म सहज रहा ही नहीं कभी।
सृष्टि में निरंतरता को बनाए रखने का जो उपहार ईश्वर ने नारी को प्रदान किया है उसके अस्तित्व को बचाने के लिए नारी सदियों से प्रयत्नशील रही है। कभी गिरती,कभी संभलती, कभी लड़ती तो कभी धैर्य धरती, जीवन की पथरीली डगर पर नारी बिना

रुके, बिना झुके अग्रसर होती हुई सदैव विजेता ही रही है

परंतु पुरुष प्रधान समाज कभी इस बात को सरलता से स्वीकार नहीं कर पाया।
परिवर्तन तो आया है सामाजिक सोच में परंतु यदा-कदा ऐसी घटनाएं देखने को मिल जाती हैं जो नारी के अस्तित्व की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देती हैं।
नारी की उत्पत्ति, उसके स्वभाव व उसके विध्वंसक रूप तक की यात्रा को उस पुस्तक में योग्य लेखकों द्वारा दर्शाया गया है।

इस पुस्तक में 30 लेखकों द्वारा नारी के 30 भावों को अति सुंदरता से अनुच्छेद रूप में

दर्शाया गया है,यह एक ज्ञानवर्धक पुस्तक व नारी के अस्तित्व को सुरक्षित रखने में सहयोगी पुस्तक साबित होगी ,ऐसा मेरा विश्वास है।

इस पुस्तक को सफल बनाने के लिए मैं इस पुस्तक के प्रकाशक श्री नमन खंडेलवाल जी का शुक्रिया अदा करती हूं जिन्होंने मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई संकल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने की आज्ञा दी। साथ ही में इस पुस्तक में अपना योगदान देने वाले सभी लेखकों का हृदय तल से आभार प्रकट करती हूं कि उन्होंने अपने सुंदर भावों को नारी रूपों के बखान में इस पुस्तक में उकेरा।

Additional information

Weight 0.20 kg

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