fbpx
Cart is empty

Sakshy se srijan ki or

Author: Smt. Santosh Mehra | आगरा के एक जौहरी चंद्र गोपाल मेहरा के ( माई थान निवासी ) घर में मेरा जन्म 1941 में हुआ था । माता राजरानी मेहरा और पिता दोनों ही संभ्रांत परिवार से थे । माता कटरा नील दिल्ली से थी । मां एक सुयोग्य गृहिणी और पिता कुशल व्यापारी (सुयोग्य गुणी ) थे ।

Book Cost

Original price was: ₹199.Current price is: ₹148.

Short Description

आगरा के एक जौहरी चंद्र गोपाल मेहरा के ( माई थान निवासी ) घर में मेरा जन्म 1941 में हुआ था । माता राजरानी मेहरा और पिता दोनों ही संभ्रांत परिवार से थे । माता कटरा नील दिल्ली से थी । मां एक सुयोग्य गृहिणी और पिता कुशल व्यापारी (सुयोग्य गुणी ) थे । मैं बचपन से प्राइमरी स्कूल तक उसके बाद नगर पालिका स्कूल में पढ़ी ।

Share this Book

WhatsApp
Facebook
Twitter

Original price was: ₹199.Current price is: ₹148.

Quality Products

7 Days Return Policy

Usually Ships in 2 Days

Apply Coupon at Checkout

Page Count

65

Book Type

Paperback

ISBN

978-9390447497

Mrp

197

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

आगरा के एक जौहरी चंद्र गोपाल मेहरा के ( माई थान निवासी ) घर में मेरा जन्म 1941 में हुआ था । माता राजरानी मेहरा और पिता दोनों ही संभ्रांत परिवार से थे । माता कटरा नील दिल्ली से थी । मां एक सुयोग्य गृहिणी और पिता कुशल व्यापारी (सुयोग्य गुणी ) थे । मैं बचपन से प्राइमरी स्कूल तक उसके बाद नगर पालिका स्कूल में पढ़ी । बीच में कुछ कारणों से पढ़ाई रुक गई । उसके बाद आगरा की गुड़ मंडी में स्थित श्री विद्या धर्म वर्धिनी संस्कृत विद्यालय में मैंने मध्यमा से लेकर शास्त्री और आचार्य प्रथम वर्ष की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की । नागरी प्रचारिणी सभा इलाहाबाद में दर्शनशास्त्र से लेकर विशारद की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की । 1968 में मेरा विवाह दिल्ली में वायु सेना में सेवारत एक सुंदर सुशील और चरित्रवान पुरुष से हुआ । बचपन से ही मुझे लिखने पढ़ने का बहुत शौक था । अतः विवाह उपरांत श्री लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ संस्कृत विद्यालय शक्ति नगर से ( वाराणसी से ही ) शिक्षा शास्त्र द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण किया । इसी बीच मैंने गर्ल्स गाइड और फर्स्ट एड की भी शिक्षा एक योग्य विद्यार्थी के रूप में पास की । बचपन से ही नाटकों में भाग लेना, शारीरिक व्यायाम, खेलना कूदना, कुछ लिखते, रहना पढ़ते रहना हर काम में मेरी रुचि रही है । उन बिखरे मोतियों को माला में पिरो कर आज मैं पाठकों के सामने प्रस्तुत कर रही हूँ । आशा है आपको मेरे मन के सुंदर भाव आत्म विभोर कर देंगे । मेरा जीवन संघर्ष पूर्ण होकर भी सुखद रहा । सत्यनारायण के रूप में पति को पाकर में धन्य हुई । और 1970 में सुलक्षणा ( चीना ) के रूप में हमारे आंगन में एक कली ने प्रवेश किया । जिसे हमने अपने आँचल में समेट लिया है और आज उसने हमें अपने आंचल की छाँव से ढँक दिया है ।

About the Author

Recommended Books

Explore our bestselling catalog, featuring a wide array of novels, poetry, and more—each piece a journey through compelling stories and evocative words.

Shopping Basket

Discount Codes Available

Copy code and enter on checkout.

Flat 10% Discount on Poetry Books

Minimum Purchase 149

Flat 10% Discount on Novels

Minimum Purchase 149

Flat 5% Discount on Academic Books

Minimum Purchase 199

Apply to Get 4 Bookmarks for Free

No Minimum Purchase Required