By – Devraj Pradeep Verma
सरगोशियां उन ख्यालों, ख्वाबों, सवालों और हिसाबों का पुलिंदा है जिसके बारे में हम खुलकर चर्चा नहीं कर पाते हैं, सिवाए इसके कि हम अपने कुछ अजीज़ या ख़ुद से ही इन चीजों के बारे में बात करके रह जाते हैं । ख्वाहिशें और नफरत हमारे द्वारा जोर देकर न बोलने की वजह से हमें अंदर ही अंदर खोखला कर देती हैं। यह किताब जहां सपनों का जहां सजाती है तो समाज की सच्चाई भी बयान करती है, मोहब्बत के नग्मे पढ़ाती है तो उसे निभाने का सलीका भी सिखाती है। पुरानी यादों को कुरेदती है तो आने वाले वक़्त के लिए राह भी दिखाती है । किताब में लिखे गए शब्द जितने पढ़ने में अच्छे लगते हैं उससे भी ज्यादा उनके मतलब को जानने में आनंद मिलता है । यह मात्र तुकबंदी नहीं बल्कि सुर में लहराती हुई बोली की मिठास है ।
₹299 Original price was: ₹299.₹99Current price is: ₹99.
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Paperback
249
Poetry