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Viraasaton Ka Samapan

Viraasaton Ka Samapan

Author : Aayush Sikariya

Book Cost

Original price was: ₹249.Current price is: ₹199.

Short Description

यह किताब कोई क्लासिक उपन्यास नहीं है, जिसमें हीरो जीतता है और अंत में सबकुछ ठीक हो जाता है। यह किताब उस हिस्से की आवाज़ है जिसे हम दुनिया से छुपा लेते हैं। अपने भीतर की टूटी परतों की, उन सवालों की जिनके जवाब समाज देने से डरता है, और उन ख्यालों की जो रात के तीसरे पहर में सिरहाने आकर बैठ जाते हैं।

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Original price was: ₹249.Current price is: ₹199.

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Page Count

140

Book Type

Paperback

ISBN

978-93-6402-053-4

Mrp

249

Genre

Novel

Language

HIndi

About the Book

यह किताब कोई क्लासिक उपन्यास नहीं है, जिसमें हीरो जीतता है और अंत में सबकुछ ठीक हो जाता है। यह किताब उस हिस्से की आवाज़ है जिसे हम दुनिया से छुपा लेते हैं। अपने भीतर की टूटी परतों की, उन सवालों की जिनके जवाब समाज देने से डरता है, और उन ख्यालों की जो रात के तीसरे पहर में सिरहाने आकर बैठ जाते हैं। यह शब्दों में लिपटी चुप्पी है, जो चीख़ भी नहीं सकती और पूरी तरह ख़ामोश भी नहीं। इसमें कोई ‘सीधा’ रास्ता नहीं है। हर पन्ना एक नया मोड़ है, जहाँ पाठक खुद से टकराता है। हर वाक्य एक आईना है, और हर किरदार शायद वो है जिसे आप जानने से हमेशा डरते रहे हैं। यह किताब पढ़ने के लिए नहीं है। यह जीने के लिए है, महसूस करने के लिए, और कभी-कभी, खुद को थोड़ी देर के लिए खो देने के लिए भी।

About the Author

आयुष सिकारिया, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के एक युवा लेखक हैं। नाम भले ही वक़्त के साथ धुंधला जाए, लेकिन उनकी लिखी पंक्तियाँ शायद कहीं किसी कोने में देर तक गूंजती रहें। इन्होंने लेखन को कभी पहचान बनने के लिए नहीं चुना, बल्कि तब लिखा जब कहने की हिम्मत नहीं थी। ये शब्द उनके हथियार नहीं हैं, न ही चमत्कार। बस कुछ अधूरे जवाब हैं, जिन्हें उन्होंने सवालों की शक्ल में पन्नों पर छोड़ दिया। उनकी शैली में ना कोई शोर है, ना ही कोई ऊँचा स्वर । फिर भी हर वाक्य जैसे एक धीमा तमाचा होता है, जिसे महसूस तो किया जा सकता है, लेकिन नज़रअंदाज़ नहीं। आयुष की लिखावट दावा नहीं करती कि वो कुछ बदल देगी, लेकिन शायद एक दिन कोई उनके लिखे में खुद को ढूंढ लेगा।

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