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Yatharth ka jharokha

Author: Dr. Reeta Saxena

Book Cost

Original price was: ₹229.Current price is: ₹179.

Short Description

आज नैतिक अवमूल्यन और सामाजिक विसंगतियों के बीच, छोटे से छोटा दुख भी मन की गहराइयों को छू लेता है। मन का आहत होना ही अभिव्यक्ति का मूल बनकर रचनाओं में प्रकट हो जाता है।

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Original price was: ₹229.Current price is: ₹179.

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Page Count

76

Book Type

Paperback

ISBN

978-9395174091

Mrp

229

Genre

Poetry

Language

Hindi

About the Book

आज नैतिक अवमूल्यन और सामाजिक विसंगतियों के बीच, छोटे से छोटा दुख भी मन की गहराइयों को छू लेता है। मन का आहत होना ही अभिव्यक्ति का मूल बनकर रचनाओं में प्रकट हो जाता है। आज भी लोक-मंगल की कामना करने वाले राम हैं, जो समय समय पर हजारों कष्टों को सहकर अपनी मनोव्यथा को अपने भीतर समेटे रहते हैं। भाव की कोमलता, मधुरता और नि:स्वार्थ लालसा इनका शस्त्र है। संस्कृति जब तक जीवन में से उद्भूत नहीं तब तक जीवन के विविध आयाम एक दूसरे से संग्रथित होकर एक विशाल लक्ष्य कैसे पा सकेंगे। इस दौर में इन सभी मिले-जुले विचारों और अवसादों का प्रक्षालन करना ही सामाजिक और साहित्यिक दायित्व है। वैचारिक प्रौढ़ता, दायित्व वहन की गुणात्मक एकबद्धता, जीवन के उन्नयन, उत्कर्ष और प्रगति की वाहक बन सके यह कृति, तो अपने को धन्य मानूंगी। मैं खोजना चाहती हूं, इस छोटे से प्रयास में सिमटने का भाव, दुरंत परिग्रह बांटने के बजाय दिखावे की चाह रिश्तों के प्रति उदासीनता मानव कैसै और कब तक ढो सकेगा! आइए एकजुट होकर हम सभी संकल्पों की अंजुरी भरे और ध्यान रखें कि परिवर्तन तो लाना है ,पर विवेक और बुद्धि के साथ यथार्थ के झरोखे से तम को चीरने वाली किरण का स्वागत भी करना है।

About the Author

डॉ रीता सक्सेना नवगीत परम्परा की कवयित्री हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं समय समय पर प्रकाशित होती रही है। “भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की पत्रिका,गगनांचल,” में भी इनकी रचनाएं छप चुकी हैं।’ युग शून्य है’, ‘अनुराग’ ,’यादों के पखेरू” तथा यथार्थ की धूप ‘(amazon पर उपलब्ध) इनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं। इसमें विशेषतया ‘अनुराग’ को परमादरणीया महादेवी वर्मा जी का शुभाशीष भी सौभाग्य वश प्राप्त हो चुका है । इतिहास, राजनीति शास्त्र और हिंदी विषयों में परास्नातक हैं। ‘ललित निबंध’पर इन्होंने शोध कार्य किया है। आगरा आकाशवाणी से भी इनकी रचनाएं प्रसारित होती रही हैैं। वर्तमान में साहित्य सेवा ही इनकी अभिरुचि है। ‘लाकडाॅउन ‘प्रथम से अब तक इनकी चौदह ‘एनथोलॉजी’ भी आ चुकी हैं, अभी भी कवयित्री सकारात्मक सृजन में जुटी हैं, उनकी लेखनी अभी विराम नहीं लेना चाहती हैं ।।

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