₹299Original price was: ₹299.₹219Current price is: ₹219.
यह एक रोमांचपरिपूर्ण, रहस्यपूर्ण, देहात और ग्रामीण जीवन के निकट और मानव जीवन कि हर संवेदनशील से संवेदनशील भावना को भली भाँती छूने, समझने, महसूस करने, और प्रदर्शित करने कि क्षमता रखने वाला एक बहुमूल्य और विरला श्रंखलाबद्ध काल्पनिक उपन्यास है। जिसके अन्य खंड भी बहुत जल्द ही प्रकाशित होने वाले हैँ।
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यह एक रोमांचपरिपूर्ण, रहस्यपूर्ण, देहात और ग्रामीण जीवन के निकट और मानव जीवन कि हर संवेदनशील से संवेदनशील भावना को भली भाँती छूने, समझने, महसूस करने, और प्रदर्शित करने कि क्षमता रखने वाला एक बहुमूल्य और विरला श्रंखलाबद्ध काल्पनिक उपन्यास है। जिसके अन्य खंड भी बहुत जल्द ही प्रकाशित होने वाले हैँ।
About the Author
इस किताब के लेखक संयम लफ्ज़ ओ मानी के जादूगर होने के साथ-साथ एक ‘बुद्धपुरुष’ भी हैँ (जिसे इस नये दौर कि नई ज़बान में most evolved homo sepien sepien भी कहा जा सकता है)। वो आज के इस कलयुग के दौर में भी बिल्कुल वासुदेव कृष्ण के जैसे ही सत्य और धर्म की
राह पर चलते मालूम होते हैँ,या मानों इन्होने राधा भक्ति में डूब और खुद को उनपर न्योछावर कर अपनी आत्मा को बिल्किल कृष्ण के ही आत्मसात कर लिया है और मानों उन्हें ही अपनी रूह में बसा और समा लिया है। और तो और जैसे वासुदेव कृष्ण ने अपना द्वारका जितना विशाल सामराज्य और राजपाठ होने के बाद भी उसे छोड़ और उस से कौसों की दूरी बना (दुनिया के मायाजाल में ना फसते हुए और मिथ्यावाद में ना पड़ते हुए यथार्थ और सत्य को चुन) गवालों कि तरह रहना और प्रक्रिति से समन्वय स्थापिथ कर, प्रक्रिति के करीब रह जीवन जीना पसंद किया,ठीक बिलकुल वैसे ही इस कलयुग के दौर में भी लेखक ‘संयम’ ने भी हमेशा संयम रखते हुए उसी राह को चुना और अपनी नौ उम्ररी से बिल्कुल वैसे ही जीवन गुज़ार रहे हैं। अगर एक पंक्ति में उनकी शख्सियत के बारे में कहा जाए तो उनके लिए ये कहना बिलकुल उपयुक्त होगा कि वह वो विरले और निराले इंसान हैं कि “अहल ए नज़र भी जिन्हे अहल ए नज़र कहते हैं”।